About Lakshman Prasad Kushwaha

व्यक्तिगत जानकारी:

  • नाम: लक्ष्मण प्रसाद
  • जन्मतिथि: 08 अक्टूबर 1970
  • मोबाइल नंबर: 9810305746
  • पिता का नाम: कृपा प्रसाद
  • माता का नाम: सोमारी देवी
  • जन्म स्थान: गाँव- टाटो, पोस्ट-
  • डाबरी, जिला- गिरिडीह, झारखंड
  • वर्तमान पता: फ्लैट नंबर ए-148, पैरामाउंट गोल्फफोरेस्टे, ज़ीटा 1, साइट ग्रेटर नोएडा, गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश – 201310
  • धर्म: हिंदू
  • राष्ट्रीयता: भारतीय
  • भाषाएँ: हिंदी और अंग्रेजी

शैक्षणिक योग्यताएँ:
हाई स्कूल: +2 हाई स्कूल पलौंजिया बिरनी, गिरिडीह (1987, द्वितीय श्रेणी)
इंटरमीडिएट: जे पी केआई कॉलेज ऑफ कॉम्पिटिशन, भंडारो, गिरिडीह (1989, द्वितीय श्रेणी)
स्नातक (बी.कॉम): विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग (1992, प्रथम श्रेणी)

 

अन्य योग्यताएँ:
1. टाइपिंग कोर्स (1990)
2. सिविल कोर्स, रांची (1991)
3. शिक्षण अनुभव – 2 वर्ष (1994-1995)
4. बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी (BHMS), रांची (1995)
5. एलआईसी एजेंट (1999 से अब तक), दरियागंज शाखा संख्या 126
6. सह-संस्थापक और कोषाध्यक्ष – एनजीओ “अपने लोग”
7. कोषाध्यक्ष – कुशवाहा समाज, दिल्ली (2019-2022)
8. कोषाध्यक्ष – अखिल भारतीय मौर्य महासंघ
9. सदस्य – औद्योगिक उद्यमी संघ
10. सदस्य – लघु उद्योग भारती
11. सदस्य – इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

Personal Life

जीवन यात्रा:
मेरा जन्म 8 अक्टूबर 1970 को झारखंड के गिरिडीह जिले के टाटो गाँव में एक किसान परिवार में हुआ। मेरे जीवन की शुरुआत एक साधारण ग्रामीण परिवेश में हुई, जहाँ बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं थीं। मैंने प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल में कक्षा पाँच तक पूरी की। उस समय गाँव में बिजली नहीं थी, और हमें पढ़ाई के लिए प्राकृतिक रोशनी या मिट्टी के तेल के दीपक का सहारा लेना पड़ता था। माध्यमिक शिक्षा के लिए मुझे पाँच किलोमीटर दूर स्थित स्कूल में पैदल जाना पड़ता था।

1987 में मैंने हाई स्कूल की परीक्षा पास की। शिक्षा के प्रति मेरी लगन और परिवार का समर्थन हमेशा मेरे साथ था। इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए, मैंने गाँव से 40 किलोमीटर दूर भंडारो के जे पी कुशवाहा कॉलेज ऑफ कॉम्पिटिशन में दाखिला लिया। आर्थिक तंगी के चलते मुझे अपनी पढ़ाई के साथ-साथ ट्यूशन भी पढ़ाना पड़ा। इस कठिन समय ने मुझे आत्मनिर्भरता और संघर्षशीलता सिखाई। 1989 में मैंने अपनी इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की।
 

1990 में, मैं स्नातक की पढ़ाई के लिए रांची गया। रांची में शिक्षा के साथ-साथ मैंने टाइपिंग और सिविल सेवाओं की तैयारी शुरू की। इस दौरान मैंने मेडिकल क्षेत्र में भी प्रवेश की योजना बनाई। 1992 से 1995 के बीच मैंने कई सरकारी प्रतियोगी परीक्षाएँ दीं। इनमें से कुछ में सफलता भी मिली, लेकिन परिवारिक जिम्मेदारियों और अन्य कारणों से मैं अपनी मंजिल तक नहीं पहुँच सका।
 

1996 में, मैं दिल्ली आया। दिल्ली में मैंने चार्टर्ड अकाउंटेंसी (सीए) की पढ़ाई शुरू की। हालांकि, आर्थिक समस्याओं के कारण मुझे यह पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी। इसके बाद मैंने प्राइवेट नौकरी की तलाश शुरू की और 1996 में असिस्टेंट अकाउंटेंट के रूप में अपना करियर शुरू किया। इसी दौरान मैंने एलआईसी एजेंसी भी ज्वाइन की।

एलआईसी में मेरे कार्य प्रदर्शन ने मुझे पहचान दिलाई। मैंने अपनी मेहनत और लगन से बेहतरीन नतीजे हासिल किए और कई पुरस्कार प्राप्त किए। चार वर्षों तक विभिन्न कंपनियों में काम करने के बाद, मैंने महसूस किया कि मुझे अपनी पहचान बनाने के लिए अपना व्यवसाय शुरू करना चाहिए। 2001 में, मैंने “आर.डी. फूड प्रोडक्ट” नामक कंपनी की स्थापना की। इस कंपनी का ब्रांड नाम मैंने अपने पुत्र प्रभात के नाम पर रखा। शुरुआत में यह कंपनी नोएडा के सेक्टर 22 में किराए पर संचालित हुई।

2006 में, मैंने इस व्यवसाय को सेक्टर 53 में एक छोटे से निजी प्लॉट पर स्थानांतरित किया। वहाँ से मेरे व्यवसाय को नई ऊँचाइयाँ मिलीं। 2013 में, मैंने ग्रेटर नोएडा के इकोटेक-3 औद्योगिक क्षेत्र में बैंक से ऋण लेकर अपने व्यवसाय का विस्तार किया। इस क्षेत्र में मेरी कंपनी को बेहतर सुविधाएँ और संसाधन प्राप्त हुए। वर्तमान में, “आर.डी. फूड प्रोडक्ट” सूरजपुर औद्योगिक क्षेत्र के प्लॉट नंबर जे-7 में स्थित है और सफलता के साथ संचालित हो रही है।

मेरे जीवन का यह सफर संघर्षों और उपलब्धियों का मिला-जुला रूप रहा है। मैंने हर परिस्थिति से सीख ली और अपनी मेहनत और दृढ़ निश्चय के बल पर अपने सपनों को साकार किया। मेरी कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं और उन्हें पूरा करने का जज़्बा रखते हैं।